वाहन मालिक का नाम जानकर चालान चेक कर सकते हैं क्या?”

भारत में बढ़ती सड़क यातायात की संख्या और ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने ई-चालान प्रणाली लागू की है। अब पुलिस मैनुअल चालान के बजाय कैमरों और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करती है जिससे चालान काटे जाते हैं। यह आधुनिक तरीका पारदर्शी और तेज़ है, लेकिन इसके साथ लोगों में कई सवाल भी उठते हैं। इन्हीं में से एक अहम सवाल है: क्या हम केवल वाहन मालिक का नाम जानकर चालान की स्थिति चेक कर सकते हैं? इस सवाल का जवाब इतना सरल नहीं है, इसलिए इसे पूरी तरह समझना ज़रूरी है। सबसे पहले यह समझते हैं कि चालान प्रणाली किस तरह से काम करती है।

चालान कटने की प्रक्रिया अब अधिकतर राज्यों में ऑटोमैटिक हो गई है। सीसीटीवी कैमरे ट्रैफिक उल्लंघन को रिकॉर्ड करते हैं, और नंबर प्लेट रीडिंग सिस्टम के माध्यम से उस गाड़ी के रजिस्ट्रेशन नंबर को पहचान कर चालान जनरेट कर देते हैं। यह चालान संबंधित परिवहन विभाग की वेबसाइट या ई-चालान पोर्टल पर अपलोड हो जाता है। यह पूरी प्रक्रिया वाहन के नंबर से जुड़ी होती है, न कि सीधे वाहन मालिक के नाम से। यानी चालान की जानकारी वाहन नंबर के आधार पर होती है, नाम के आधार पर नहीं।

यदि आपके पास किसी व्यक्ति का केवल नाम है और आप उसका चालान चेक करना चाहते हैं, तो यह इतना आसान नहीं है। भारत की कानून व्यवस्था और डेटा प्राइवेसी के नियमों के अनुसार, किसी व्यक्ति की जानकारी सिर्फ नाम से प्राप्त करना न तो सरल है और न ही वैध। वाहन का मालिक कौन है, यह जानने के लिए वाहन पंजीकरण नंबर ज़रूरी होता है। नाम से किसी व्यक्ति का वाहन नंबर या चालान देखना निजता का उल्लंघन माना जा सकता है। इसके अलावा, भारत सरकार के पोर्टल जैसे ‘Parivahan’ या ‘eChallan’ पर किसी वाहन का चालान जानने के लिए वाहन नंबर, चालान नंबर या ड्राइविंग लाइसेंस नंबर जैसी जानकारी की आवश्यकता होती है।

वास्तव में, किसी के नाम से चालान ढूंढना व्यावहारिक नहीं है क्योंकि एक ही नाम के हजारों लोग हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी का नाम ‘Rahul Sharma’ है, तो पूरे देश में हजारों लोग इस नाम से पंजीकृत हो सकते हैं। ऐसे में यह जान पाना कि किस राहुल शर्मा का कौन सा चालान है, यह असंभव और भ्रमित करने वाला हो सकता है। इसके अलावा सरकार ने डेटा की गोपनीयता को प्राथमिकता दी है, ताकि कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की निजी जानकारी गलत तरीके से न देख सके।

अब यदि हम वैध तरीकों की बात करें, तो चालान चेक करने का सबसे भरोसेमंद और मान्यता प्राप्त तरीका है वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर। यदि किसी वाहन का नंबर पता है तो आप परिवहन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट (https://echallan.parivahan.gov.in/) पर जाकर ‘Check Challan Status’ में जाकर संबंधित जानकारी भर सकते हैं। वहाँ आप RC नंबर और Captcha भरते ही उस वाहन पर लगे सभी चालानों की सूची देख सकते हैं। इसी तरह कुछ राज्य अपने खुद के ई-चालान पोर्टल भी चलाते हैं जैसे महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, तेलंगाना आदि, जिन पर भी आप चालान चेक कर सकते हैं लेकिन उसके लिए वाहन नंबर जरूरी होता है।

कई बार लोग यह सवाल भी करते हैं कि यदि हमारे पास वाहन मालिक का नाम और मोबाइल नंबर हो, तो क्या चालान चेक किया जा सकता है? उत्तर फिर भी वही है: नहीं। चालान की जानकारी मोबाइल नंबर से भी लिंक नहीं होती जब तक कि आपने वह नंबर वाहन रजिस्ट्रेशन या चालान के समय दर्ज न किया हो। हालांकि, कुछ भुगतान ऐप जैसे Paytm, Google Pay आदि के जरिये वाहन नंबर के साथ चालान चेक किया जा सकता है, लेकिन वहाँ भी नाम से सर्च करने की कोई सुविधा नहीं होती।

इसके अलावा, कई एजेंसियाँ और वकील ऐसी सेवाएं भी देने का दावा करते हैं जिसमें वे नाम से चालान या वाहन मालिक की डिटेल निकालकर देते हैं। लेकिन इनसे सावधान रहना चाहिए क्योंकि यह तरीका अनौपचारिक और अवैध हो सकता है। भारत में वाहन डाटा को लेकर कई गोपनीयता नियम लागू हैं और बिना अधिकृत अनुमति के किसी की निजी जानकारी हासिल करना साइबर क्राइम की श्रेणी में आ सकता है। ऐसे मामलों में आपको कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।

यदि किसी को यह जानने की आवश्यकता है कि किसी वाहन पर कोई चालान है या नहीं, तो सही तरीका यह है कि वाहन का नंबर उसके मालिक से सीधे प्राप्त किया जाए। यदि वह नंबर आपको मिल जाए, तब ही आप सरकारी पोर्टल पर जाकर चालान देख सकते हैं। यदि आप वाहन खरीदने जा रहे हैं और आप उस वाहन पर चालान की स्थिति जानना चाहते हैं, तो सेलर से आरसी कॉपी या गाड़ी का नंबर मांगे और फिर उसे ई-चालान पोर्टल पर दर्ज कर जांच करें। यह पूरी तरह कानूनी और सुरक्षित तरीका है।

कभी-कभी ट्रैफिक पुलिस किसी व्यक्ति का नाम लेकर उसके खिलाफ चालान की जानकारी सार्वजनिक करती है, लेकिन ऐसा केवल गंभीर उल्लंघनों या कानूनी मामलों में ही होता है। जैसे कोई केस कोर्ट में चला गया हो, या व्यक्ति फरार हो। सामान्य चालानों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती। इसलिए आम नागरिक के रूप में आपके पास किसी व्यक्ति के नाम से चालान देखने का अधिकार नहीं है।

यदि किसी मामले में कोर्ट की अनुमति हो, या पुलिस जांच के अंतर्गत जानकारी माँगी जा रही हो, तब नाम से वाहन संबंधी डाटा और चालान डाटा तक पहुँचना संभव होता है। लेकिन वह प्रक्रिया आम नागरिक के लिए नहीं बल्कि जांच एजेंसियों के लिए होती है। ऐसा भी देखा गया है कि कुछ प्राइवेट वेबसाइट्स दावा करती हैं कि वे वाहन मालिक की डिटेल्स दे सकती हैं लेकिन यह गैरकानूनी है और कई बार ये फर्जीवाड़ा साबित होती हैं। इनसे बचना आवश्यक है।

वर्तमान समय में डिजिटल व्यवस्था ने पारदर्शिता जरूर लाई है, लेकिन साथ ही लोगों की जानकारी को सुरक्षित रखना भी ज़रूरी बना दिया है। डेटा सुरक्षा अधिनियम और साइबर कानून अब सख्त हो चुके हैं और किसी अन्य की जानकारी छेड़ना आपको बड़ी कानूनी परेशानी में डाल सकता है। इसलिए हमेशा अधिकृत और वैध तरीकों से ही जानकारी हासिल करें।

कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दूसरे की चालान स्थिति जानना चाहते हैं यह देखने के लिए कि वह व्यक्ति ट्रैफिक नियमों का पालन करता है या नहीं, खासकर जब कोई व्यक्ति दूसरी हाथ की गाड़ी खरीदने जा रहा हो। ऐसे में नाम से नहीं, बल्कि गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर पूछकर ही जानकारी लें और सरकारी पोर्टल पर जाकर देखें कि चालान लंबित है या नहीं। यह तरीका पूरी तरह कानूनी है और इससे आपका विश्वास भी मजबूत होगा।

ट्रैफिक पुलिस भी चाहती है कि लोग जिम्मेदार नागरिक बनें और अपने चालान स्वयं चेक करें और समय पर उसका भुगतान करें। इसलिए ही एसएमएस, ईमेल और ऐप्स के माध्यम से वाहन मालिक को नोटिफिकेशन भेजा जाता है। अब आप Digilocker, mParivahan, या Vahan ऐप के ज़रिए भी वाहन और चालान की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं लेकिन यहाँ भी लॉगिन और वाहन की जानकारी अनिवार्य होती है।

निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि सिर्फ वाहन मालिक का नाम जानकर चालान चेक करना संभव नहीं है। इसके लिए वाहन नंबर या ड्राइविंग लाइसेंस नंबर जैसी सटीक जानकारी ज़रूरी होती है। भारत के ट्रैफिक सिस्टम और डिजिटल प्राइवेसी कानून इस तरह की सुविधाओं की इजाजत नहीं देते ताकि किसी की व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग न हो सके। यदि आपको किसी वाहन या उसके मालिक के चालान की जानकारी प्राप्त करनी है, तो वैध स्रोत और सही प्रक्रिया अपनाएं। इससे आप कानूनी झंझट से बचेंगे और आपकी जानकारी भी विश्वसनीय होगी।

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