FASTag तकनीक ने भारत में टोल कलेक्शन प्रणाली को क्रांतिकारी तरीके से बदल दिया है। अब बिना रुके वाहन टोल प्लाजा पार कर सकते हैं और भुगतान ऑटोमैटिक तरीके से उनके FASTag वॉलेट से कट जाता है। लेकिन पिछले कुछ समय से यह देखा गया है कि FASTag का उपयोग चालान काटने में भी होने लगा है। कई वाहन मालिकों को यह समझ नहीं आता कि जब उन्होंने किसी ट्रैफिक नियम का उल्लंघन नहीं किया, तब भी उन्हें चालान का नोटिस मिल जाता है और उसमें FASTag से पेमेंट की जानकारी होती है। ऐसे में यह जानना बेहद ज़रूरी है कि FASTag से चालान कैसे कटता है, क्या यह सिस्टम सही है, और इससे कैसे बचा जा सकता है।
FASTag एक रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक पर आधारित टैग होता है, जिसे वाहन के सामने के शीशे पर चिपकाया जाता है। जब वाहन टोल प्लाजा से गुजरता है, तो वहां लगे स्कैनर इस टैग को पढ़ लेते हैं और वाहन मालिक के FASTag खाते से निर्धारित राशि काट लेते हैं। यह प्रक्रिया बेहद तेज़, ऑटोमैटिक और डिजिटल होती है। लेकिन अब सरकार और ट्रैफिक पुलिस इस तकनीक का उपयोग ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की पहचान और चालान प्रक्रिया के लिए भी करने लगी है।
अब सवाल उठता है कि टोल टैग चालान से कैसे जुड़ गया? दरअसल, अधिकांश FASTag से जुड़े वाहन और उनके मालिक की पूरी जानकारी नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) और Vahan पोर्टल पर पहले से मौजूद होती है। इसमें वाहन नंबर, मालिक का नाम, मोबाइल नंबर, बैंक विवरण और RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) से जुड़ी पूरी जानकारी शामिल होती है। जब कोई वाहन ट्रैफिक नियम तोड़ता है — जैसे कि रेड लाइट जंप करना, गलत दिशा में चलना, ओवर स्पीडिंग करना या नो-एंट्री में जाना — तो CCTV कैमरे उस वाहन की नंबर प्लेट रिकॉर्ड कर लेते हैं।
अब यहां से प्रक्रिया शुरू होती है – ट्रैफिक कंट्रोल सेंटर उस वाहन नंबर को Vahan पोर्टल से लिंक करता है, और अगर उस गाड़ी का FASTag सक्रिय है, तो चालान की राशि सीधे उसी FASTag अकाउंट से ऑटो-डेबिट हो सकती है। खासकर NHAI (National Highways Authority of India) द्वारा प्रबंधित टोल प्लाजा और ट्रैफिक निगरानी केंद्र अब इस डेटा को आपस में साझा करने लगे हैं।
यह प्रणाली शुरुआत में दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में लागू की गई थी, लेकिन धीरे-धीरे यह पूरे देश में विस्तार कर रही है। फायदा यह है कि चालान देने की प्रक्रिया स्वचालित हो जाती है, जिससे व्यक्ति को काउंटर पर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन नुकसान यह है कि यदि चालान गलत तरीके से कटा हो, तो व्यक्ति को जानकारी नहीं होती और FASTag से राशि कट जाती है।
एक उदाहरण से समझिए – मान लीजिए आप एक टोल प्लाजा से गुजरे और आपने लेन परिवर्तन कर लिया, जो कि उस स्थान पर प्रतिबंधित था। वहां लगे AI कैमरे ने आपके वाहन की हरकत रिकॉर्ड कर ली और नियम उल्लंघन के रूप में ट्रैफिक पुलिस को रिपोर्ट भेजी। पुलिस ने आपका चालान जनरेट किया और FASTag से राशि काट ली। आपको न कोई SMS मिला, न मेल, और राशि कट गई। बाद में जब आप अपना FASTag बैलेंस चेक करते हैं या गाड़ी बेचने जाते हैं, तब पता चलता है कि चालान कटा हुआ है।
अब सवाल उठता है – क्या यह प्रक्रिया वैध है?
जी हां, सरकार ने चालान भुगतान में पारदर्शिता और तेजी लाने के लिए FASTag को वैकल्पिक पेमेंट माध्यम के रूप में अपनाया है। खासकर जब व्यक्ति ट्रैफिक नियम तोड़ता है और उसका चालान CCTV रिकॉर्डिंग के आधार पर जनरेट होता है, तब FASTag डेटा उस चालान से लिंक किया जा सकता है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि चालान की राशि काटने से पहले वाहन मालिक को सूचना देना कानूनी रूप से अनिवार्य है। यानी चालान जनरेट होने के बाद आपको SMS या ईमेल के ज़रिए जानकारी मिलनी चाहिए, तब ही वह राशि कटनी चाहिए।
यदि आपकी अनुमति या जानकारी के बिना FASTag से चालान की राशि कट जाती है, तो आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
1. FASTag प्रोवाइडर से शिकायत करें:
हर FASTag बैंक या एजेंसी का अपना कस्टमर केयर नंबर होता है। जैसे कि HDFC, ICICI, Paytm, SBI आदि। आप वहां कॉल करके पूछ सकते हैं कि राशि क्यों और किस नाम पर कटी है।
2. ट्रैफिक पुलिस पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें:
आप संबंधित राज्य के ट्रैफिक विभाग की वेबसाइट पर जाकर अपने वाहन नंबर से चालान की डिटेल देखें। वहां “Dispute Challan” या “Raise Grievance” जैसे विकल्प होते हैं, जिनके माध्यम से आप गलत चालान के विरुद्ध आपत्ति दर्ज कर सकते हैं।
3. Cyber Crime Portal पर शिकायत करें:
अगर आपको लगता है कि यह राशि धोखे से या बिना आपके संज्ञान के कटी गई है, तो आप https://cybercrime.gov.in/ पर शिकायत कर सकते हैं।
4. NHAI या NPCI को ईमेल करें:
यदि ट्रांजेक्शन NHAI द्वारा हुआ है, तो आप उन्हें ईमेल के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं। NPCI (National Payments Corporation of India) जो UPI और डिजिटल ट्रांजेक्शन को मॉनिटर करता है, वह भी इसमें सहायता कर सकता है।
अब यह जानना भी ज़रूरी है कि किस स्थिति में FASTag से चालान कट सकता है:
- CCTV द्वारा नियम उल्लंघन की पुष्टि हो
- वाहन का नंबर स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड हुआ हो
- चालान राज्य पोर्टल पर जनरेट हुआ हो
- वाहन मालिक का मोबाइल नंबर और FASTag एक-दूसरे से लिंक हो
- चालान के लिए FASTag ऑटो डेबिट की अनुमति दी गई हो (कुछ राज्यों में आवश्यक नहीं)
इसके अलावा, कई ट्रैफिक विभाग चालान की राशि सिर्फ नोटिस भेजने के बाद ही FASTag से काटते हैं। ऐसे में FASTag धारक को SMS, Email या WhatsApp पर चालान की सूचना मिलनी चाहिए। यदि सूचना नहीं मिलती, तो यह नागरिक अधिकारों का उल्लंघन माना जा सकता है।
तो FASTag चालान कटने की प्रक्रिया को लेकर कुछ मुख्य बातें समझ लीजिए:
- यह प्रक्रिया अब देश के कई शहरों में लागू है
- यह स्वचालित (Automated) चालान कटौती प्रक्रिया है
- यह तभी लागू होती है जब CCTV फुटेज में आपका वाहन नियम तोड़ता दिखे
- पेमेंट का लिंक आपके FASTag प्रोवाइडर से होता है
- आपको इसकी सूचना मिलनी अनिवार्य होती है
- FASTag से चालान कटना अभी सभी राज्यों में अनिवार्य नहीं है
निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि FASTag का उपयोग केवल टोल पेमेंट तक सीमित नहीं रह गया है। सरकार अब इसे ट्रैफिक चालान की प्रक्रिया में भी शामिल कर रही है ताकि पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। हालांकि इसमें सुधार की आवश्यकता है, खासकर जानकारी देने और गलती सुधारने की प्रक्रिया को लेकर। आम नागरिकों को यह समझना ज़रूरी है कि FASTag अब सिर्फ एक डिजिटल पेमेंट टूल नहीं बल्कि आपके ड्राइविंग व्यवहार का रिकॉर्डिंग सिस्टम बनता जा रहा है। ऐसे में सड़क नियमों का पालन करें और FASTag से जुड़े नोटिफिकेशन पर नज़र रखें।