जब किसी को ट्रैफिक पुलिस द्वारा चालान मिलता है, तो सबसे पहले उसके मन में एक सवाल उठता है—क्या अब मेरी गाड़ी जब्त की जा सकती है? यह सवाल और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है जब चालान की राशि ज्यादा हो, या फिर लगातार कई चालान लंबित हों। आमतौर पर लोग मानते हैं कि चालान सिर्फ जुर्माने की बात होती है, लेकिन कई बार यह एक ऐसे कानूनी रास्ते की शुरुआत होती है जो सीधा गाड़ी की जब्ती (vehicle seizure) तक पहुंच सकता है। लेकिन क्या चालान कटते ही गाड़ी जब्त हो सकती है? या इसके लिए कुछ विशेष परिस्थितियाँ जरूरी होती हैं? इस पूरे लेख का मकसद है इन सवालों का स्पष्ट और आम भाषा में उत्तर देना।
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि चालान और गाड़ी की जब्ती, दोनों अलग-अलग कानूनी प्रक्रियाएँ हैं। चालान का मतलब है कि आपने किसी ट्रैफिक नियम का उल्लंघन किया और इसके लिए आपको एक जुर्माना भरना है। यह जुर्माना भुगतान करके मामला समाप्त किया जा सकता है। जबकि गाड़ी की जब्ती एक गंभीर कदम है, जो तब उठाया जाता है जब मामला चालान से आगे बढ़ चुका हो—जैसे बार-बार नियमों का उल्लंघन, नकली दस्तावेज, लाइसेंस की गंभीर समस्या, या कोई आपराधिक गतिविधि।
मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 के तहत ट्रैफिक पुलिस या परिवहन अधिकारी को अधिकार दिया गया है कि वो किसी भी वाहन को जब्त कर सकता है यदि वह नियमों के अनुरूप नहीं चल रहा हो या उससे जनहित को खतरा हो। इसमें गाड़ी का फिटनेस न होना, बीमा का खत्म हो जाना, लाइसेंस का अवैध होना, नंबर प्लेट ग़लत होना, या गाड़ी का चोरी की सूचना में होना जैसी स्थितियाँ आती हैं। यानी केवल चालान कट जाना अपने आप में जब्ती का कारण नहीं है, परंतु उसके साथ अन्य उल्लंघन जुड़े हों तो मामला गंभीर हो जाता है।
मान लीजिए किसी गाड़ी पर एक दो नहीं बल्कि दर्जनों चालान पेंडिंग हैं और वाहन का मालिक भुगतान करने में टालमटोल करता है, तब पुलिस विभाग के पास यह विकल्प होता है कि वह गाड़ी को जब्त कर ले। यह जब्ती आमतौर पर ट्रैफिक पुलिस की स्पेशल टीम या RTO की जांच टीम करती है। कई शहरों में ऐसे मामलों में गाड़ी को ट्रैफिक चौकी में खड़ा कर दिया जाता है और मालिक को तब तक नहीं लौटाई जाती जब तक वो सारे चालान चुका न दे और दस्तावेज पूरे न करे।
अब एक और पहलू समझना ज़रूरी है—क्या एक ही चालान पर गाड़ी जब्त की जा सकती है? जवाब है, नहीं, अगर मामला सिर्फ एक मामूली ट्रैफिक उल्लंघन का है—जैसे हेलमेट न पहनना, रेड लाइट जंप करना या पार्किंग नियम तोड़ना—तो ऐसे मामलों में सिर्फ जुर्माना वसूला जाता है। लेकिन अगर चालान में उल्लंघन ऐसा है जो सड़क सुरक्षा को सीधे प्रभावित करता है—जैसे शराब पीकर गाड़ी चलाना, ओवरलोडिंग, बिना नंबर प्लेट वाहन, या नाबालिग द्वारा वाहन चलाना—तो ऐसे मामलों में पुलिस तुरंत गाड़ी जब्त करने का अधिकार रखती है।
आजकल ई-चालान प्रणाली लागू हो चुकी है। इस प्रणाली में चालान ऑनलाइन बनता है, फोटो और वीडियो के साथ प्रमाण होता है, और मालिक के मोबाइल पर तुरंत सूचना भेजी जाती है। अगर ऐसे चालान की संख्या बढ़ जाए और समय पर भुगतान न किया जाए, तो कई शहरों में ट्रैफिक विभाग ऐसे वाहनों की ब्लैकलिस्टिंग कर देता है। ऐसे वाहन जब भी किसी चेकपोस्ट पर पकड़े जाते हैं, तो सीधे जब्त किए जा सकते हैं। यानी जब्ती का आदेश अब सिर्फ कोर्ट से ही नहीं आता, बल्कि तकनीकी सिस्टम से भी नियंत्रित हो रहा है।
अब सोचिए, आपने चालान को नजरअंदाज किया, फिर गाड़ी लेकर कहीं जा रहे थे और रास्ते में पुलिस ने रोका। सिस्टम में नाम आते ही पता चला कि आपके ऊपर पाँच चालान लंबित हैं और उनमें से दो “कोर्ट में पेश होने योग्य” अपराध हैं। उस स्थिति में पुलिस आपकी गाड़ी को सीज़ कर सकती है। ऐसी स्थिति में आपको गाड़ी छुड़वाने के लिए कोर्ट जाना होगा, चालान का भुगतान करना होगा, और आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
गाड़ी जब्त होने के बाद उसे छुड़ाना आसान नहीं होता। सबसे पहले आपको वह सभी चालान चुकाने होंगे जो लंबित हैं। फिर थाने या ट्रैफिक चौकी में जाकर “रिलीज एप्लिकेशन” देना होता है जिसमें RC, लाइसेंस, बीमा, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेजों की फोटोकॉपी लगानी होती है। कभी-कभी वाहन की जांच दोबारा होती है और फिटनेस प्रमाणित किया जाता है। जब ये सब हो जाए, तब जाकर आपको एक रिलीज ऑर्डर मिलता है और आपकी गाड़ी आपको वापस सौंपी जाती है।
अब सवाल आता है—क्या पुलिस कभी बिना चालान के ही गाड़ी जब्त कर सकती है? जवाब है हाँ, कुछ मामलों में। जैसे, वाहन चोरी की सूचना हो, नंबर प्लेट जाली हो, गाड़ी अपराध में इस्तेमाल हुई हो, या चालक नाबालिग हो। ऐसी परिस्थितियों में पुलिस को पूरा अधिकार है कि वह बिना चालान के भी गाड़ी को जब्त कर ले और जांच शुरू करे। ये मामले केवल चालान तक सीमित नहीं रहते बल्कि क्रिमिनल केस का रूप ले सकते हैं।
ऐसी भी घटनाएं होती हैं जहां पुलिसकर्मी मौके पर ही चालान काटकर गाड़ी को जब्त करने की धमकी देते हैं—ये हर बार कानूनी नहीं होता। वाहन मालिक को अपने अधिकार जानने चाहिए। अगर आपके दस्तावेज पूरे हैं, गाड़ी वैध है, और अपराध गंभीर नहीं है, तो सिर्फ एक मामूली चालान पर आपकी गाड़ी नहीं जब्ती जा सकती। अगर ऐसा हुआ है तो आप उच्च अधिकारियों से शिकायत कर सकते हैं या लोक अदालत या उपभोक्ता फोरम में केस दायर कर सकते हैं।
अब बात करते हैं उन लोगों की जो सोचते हैं कि “छोटा-मोटा चालान है, कोई बात नहीं।” यही लापरवाही धीरे-धीरे गाड़ी जब्ती का कारण बन सकती है। हर चालान, चाहे वह 100 रुपये का हो या 1000 का, एक कानूनी नोटिस होता है और उसका जवाब देना जरूरी होता है। जब आप इन्हें इग्नोर करते हैं, तो सिस्टम समझता है कि आप कानून का सम्मान नहीं करते, और तब मजबूरी में सख्त कदम उठाया जाता है।
कई शहरों में अब ट्रैफिक पुलिस ने डिजिटल जब्ती अभियान शुरू कर दिए हैं—जहां CCTV से पता लगाया जाता है कि कौन-कौन सी गाड़ियों पर चालान बकाया है और फिर GPS की मदद से उन्हें ट्रैक कर सीज़ किया जाता है। यह सिस्टम दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद जैसे शहरों में तेजी से लागू हो रहा है। यानी चालान अब सिर्फ मोबाइल पर आने वाला मैसेज नहीं है, वह अब एक डिजिटल फाइल है जो आपकी गाड़ी की पूरी हिस्ट्री संभालता है।
इसलिए एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते, हर वाहन चालक को चाहिए कि वह समय-समय पर अपनी गाड़ी का चालान स्टेटस चेक करता रहे, और किसी भी लंबित चालान को जल्द से जल्द निपटाए। ऐसा करने से न सिर्फ गाड़ी जब्ती का खतरा टलेगा, बल्कि आपके नाम पर RTO रिकॉर्ड भी साफ रहेगा।
अगर कभी भी आपकी गाड़ी जब्त हो जाती है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। शांत रहिए, सारे दस्तावेज इकट्ठा कीजिए, चालान भरिए और कानून के अनुसार प्रक्रिया अपनाइए। यदि आप मानते हैं कि आपकी गाड़ी गलत तरीके से जब्त की गई है, तो आप कोर्ट में अपील भी कर सकते हैं और न्याय की मांग कर सकते हैं। न्यायपालिका अक्सर उन मामलों में राहत देती है जहां नागरिक ईमानदारी से अपनी बात रखते हैं।
अंततः यही कहा जा सकता है कि चालान और गाड़ी जब्ती के बीच का संबंध परिस्थितियों पर आधारित होता है। सिर्फ चालान कटने से आपकी गाड़ी जब्त नहीं होती, लेकिन यदि चालान अनदेखा किया जाए, बार-बार नियम तोड़े जाएँ या अपराध की प्रवृत्ति हो, तो पुलिस के पास गाड़ी जब्त करने का पूरा अधिकार होता है। इसीलिए सावधानी, जागरूकता और समय पर कार्रवाई बेहद जरूरी है।