भारत में आजकल तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल के साथ-साथ हर चीज़ को आधार कार्ड से जोड़ा जा रहा है। बैंक खाता खोलना हो या सिम कार्ड लेना हो, गैस सब्सिडी पाना हो या वोटर आईडी अपडेट करना हो हर प्रक्रिया में आधार की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है। इसी संदर्भ में एक आम सवाल यह भी उठने लगा है कि क्या “चालान की जानकारी आधार कार्ड से मिल सकती है?” यानी क्या कोई व्यक्ति अपने आधार नंबर से यह पता कर सकता है कि उसकी गाड़ी पर चालान तो नहीं है? या किसी और व्यक्ति का चालान आधार से ट्रैक किया जा सकता है? इस लेख में हम इन्हीं सवालों की गहराई से चर्चा करेंगे, वह भी आम नागरिक की भाषा में।
सबसे पहले समझते हैं कि चालान क्या होता है और यह किस आधार पर जुड़ा होता है। भारत में जब कोई व्यक्ति ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करता है, जैसे रेड लाइट पार करना, हेलमेट न पहनना, ओवरस्पीडिंग या ड्राइविंग के दौरान फोन पर बात करना तो ट्रैफिक पुलिस या ऑटोमेटेड सिस्टम (CCTV कैमरे और ANPR) उस वाहन के नंबर के आधार पर एक ई-चालान जनरेट करता है। यह चालान गाड़ी के रजिस्ट्रेशन नंबर, मालिक के नाम और उससे जुड़े मोबाइल नंबर पर निर्भर करता है। यानी चालान बनते समय आधार नंबर की आवश्यकता नहीं होती।
अब सवाल आता है कि क्या चालान की जानकारी आधार कार्ड से प्राप्त की जा सकती है? अभी की स्थिति में, सीधा जवाब है – नहीं। वर्तमान ट्रैफिक व्यवस्था में किसी वाहन या चालान की जानकारी आधार नंबर के माध्यम से प्राप्त करने का विकल्प नहीं है। सरकार ने चालान जनरेट करने की प्रक्रिया को गाड़ी के नंबर और मालिक के मोबाइल नंबर से जोड़ा है, न कि आधार नंबर से। इसकी एक मुख्य वजह यह भी है कि आधार कार्ड की जानकारी अत्यंत संवेदनशील (sensitive) मानी जाती है, और उसके जरिए किसी भी अन्य सार्वजनिक जानकारी को सर्च करना डेटा प्राइवेसी का उल्लंघन माना जा सकता है।
हालांकि यह जरूर है कि जब आप कोई गाड़ी RTO में रजिस्टर कराते हैं, तो कई राज्यों में आधार नंबर बताना आवश्यक हो गया है। यह सत्यापन के लिए जरूरी होता है, ताकि कोई फर्जी नाम से गाड़ी रजिस्टर न करवा सके। लेकिन यह जानकारी RTO की इंटरनल फाइल में रहती है और चालान सर्च करने वाली वेबसाइट्स जैसे echallan.parivahan.gov.in या राज्य की ट्रैफिक वेबसाइट पर इसका कोई लिंक नहीं होता।
चालान की जानकारी देखने के लिए आज भी सबसे कारगर तरीका है गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर, या चालान नंबर। कई बार लोग RTO में मोबाइल नंबर रजिस्टर करवाते हैं तो चालान SMS के जरिए उस मोबाइल पर भी पहुंचता है। लेकिन आधार नंबर से न तो चालान खोजा जा सकता है, और न ही यह पब्लिक एक्सेस में उपलब्ध है।
अब बात करते हैं तकनीकी और कानूनी पहलू की। आधार कार्ड से किसी भी नागरिक की जानकारी निकालना UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) के नियमों के तहत प्रतिबंधित है। यदि कोई वेबसाइट या ऐप यह दावा करती है कि वह आपको आधार नंबर से चालान की स्थिति दिखा सकती है, तो वह पूरी तरह फर्जी है। UIDAI ने कई बार चेतावनी दी है कि बिना व्यक्ति की अनुमति के उसका आधार नंबर प्रयोग करना गैरकानूनी है। इसके खिलाफ साइबर क्राइम के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि भारत में अभी तक कोई ऐसा सार्वजनिक डेटाबेस नहीं है जो आधार नंबर को वाहन रजिस्ट्रेशन, चालान, या पुलिस रिकॉर्ड से लिंक करके सर्चिंग की सुविधा दे। डेटा सुरक्षा और गोपनीयता कानून (Data Protection Bill) के अंतर्गत सरकार इन जानकारियों को सीमित पहुंच के लिए ही रखना चाहती है।
लेकिन भविष्य में क्या यह संभव हो सकता है? टेक्नोलॉजी की बात करें तो हां, एक दिन यह जरूर संभव हो सकता है कि आधार से चालान की जानकारी जुड़ जाए। इसके कई फायदे भी हो सकते हैं |जैसे एक व्यक्ति अगर कई गाड़ियाँ चलाता है या अलग-अलग राज्य में रजिस्टर्ड गाड़ियाँ उसके नाम पर हैं, तो वह अपने आधार से लॉग इन करके सभी चालानों की सूची देख सके। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ सकती है। लेकिन तब यह भी जरूरी होगा कि नागरिक की गोपनीयता की रक्षा सुनिश्चित की जाए और उसकी अनुमति से ही जानकारी एक्सेस हो।
एक और बात जो सामने आती है, वह यह कि कई बार गाड़ी का मालिक और गाड़ी चलाने वाला अलग होता है। ऐसे में अगर चालान आधार से जुड़ा होगा तो गलत व्यक्ति को दोषी मान लिया जा सकता है। उदाहरण के लिए, किसी ने किसी की गाड़ी चुरा ली और ट्रैफिक उल्लंघन किया, और अगर चालान सीधे आधार से जुड़ा हो, तो मासूम मालिक को परेशानी उठानी पड़ सकती है। इस तरह की स्थितियों में आधार-लिंकिंग से अधिक नुकसान हो सकता है, खासकर जब गाड़ी किराए की हो या ड्राइवर अलग हो।
अब बात करें जनता के अनुभव की। कई लोग सोचते हैं कि अगर गाड़ी पर चालान हो और मुझे जानकारी न हो, तो आधार से उसे ट्रैक कर सकूँ। लेकिन ऐसा संभव नहीं है। बेहतर तरीका है कि आप समय-समय पर echallan.parivahan.gov.in वेबसाइट पर जाकर अपनी गाड़ी का नंबर डालें और स्थिति जांचें। इससे आप जान सकेंगे कि चालान है या नहीं। इसके अलावा, कुछ राज्य जैसे महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक ने अपने ट्रैफिक पोर्टल बनाए हैं जहां मोबाइल OTP से लॉगिन करके चालान की स्थिति देखी जा सकती है।
अब एक आम सवाल अगर गाड़ी बेच दी गई है और चालान पुराने मालिक के नाम पर आ रहा है, तो क्या आधार लिंकिंग से यह रोका जा सकता है? फिलहाल नहीं। लेकिन भविष्य में अगर RTO सिस्टम आधार से लिंक होता है, तो गाड़ी ट्रांसफर करते समय नए और पुराने दोनों व्यक्तियों का आधार सत्यापन जरूरी हो सकता है। इससे फर्जी ट्रांसफर या चालान की गलत जिम्मेदारी से बचा जा सकेगा।
कुछ टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर आधार और चालान सिस्टम को सही तरीके से लिंक किया जाए, तो इससे डुप्लीकेट गाड़ियों, चोरी के वाहनों और नियम तोड़ने वालों पर लगाम लगाई जा सकती है। लेकिन इसके लिए सरकार को पहले डेटा सुरक्षा और नागरिक अधिकारों को संतुलन में रखना होगा। यदि इसे जबरदस्ती लागू किया गया, तो नागरिकों में भय और विरोध पैदा हो सकता है।
अंत में यही कहा जा सकता है कि फिलहाल भारत में आधार नंबर से चालान की जानकारी नहीं मिलती और न ही कोई सरकारी पोर्टल या ऐप ऐसी सुविधा देता है। यह जानकारी सिर्फ वाहन नंबर, इंजन/चेसिस नंबर या मोबाइल OTP से ही प्राप्त की जा सकती है। हालांकि भविष्य में यह तकनीक आ सकती है, लेकिन उसमें भी कई शर्तें और सीमाएँ होंगी।
यदि आप अपने या किसी और के चालान की जानकारी लेना चाहते हैं, तो सबसे सुरक्षित तरीका है गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर इस्तेमाल करें और आधिकारिक पोर्टल पर जाएं। आधार नंबर एक गोपनीय पहचान दस्तावेज है, न कि चालान सर्चिंग का जरिया।