आज के डिजिटल युग में जब ई-गवर्नेंस और ऑनलाइन सेवाएं आम हो गई हैं, तब चालान से जुड़े मामलों को लेकर भी तकनीक का काफी इस्तेमाल बढ़ा है। वाहन चालकों को ऑनलाइन चालान देखने, भरने और रसीद डाउनलोड करने जैसी सुविधाएं आसानी से मिल जाती हैं। लेकिन जहां एक ओर यह तकनीक सुविधा लेकर आई है, वहीं दूसरी ओर साइबर अपराधियों को भी एक मौका मिल गया है कि वे नकली वेबसाइटों और फर्जी ऐप्स के ज़रिए लोगों को ठग सकें। खासकर चालान से संबंधित फर्जी वेबसाइटें आजकल तेजी से बढ़ रही हैं, जो नकली चालान दिखाकर लोगों से पैसे ऐंठने का काम करती हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि ऐसी फर्जी वेबसाइटों की पहचान कैसे करें, उनसे कैसे बचें, और चालान की असली वेबसाइट कौन-सी होती है।
अक्सर लोग जल्दबाज़ी में या जानकारी की कमी के चलते किसी भी वेबसाइट पर जाकर चालान की जानकारी देखने की कोशिश करते हैं। गूगल पर “Challan Payment” या “e-Challan Check Online” जैसे कीवर्ड्स डालते ही दर्जनों वेबसाइटें आ जाती हैं, जिनमें से कई असली होती हैं, तो कई पूरी तरह से फर्जी। इन नकली वेबसाइटों का मकसद सिर्फ़ आपकी निजी जानकारी और बैंक डिटेल्स चुराना होता है, जिससे वो बाद में फ्रॉड कर सकें। इसलिए सबसे पहले यह ज़रूरी है कि वाहन मालिक सही वेबसाइट की पहचान करना सीखें।
सबसे पहली बात तो यह है कि भारत सरकार ने चालान की जानकारी और भुगतान के लिए केवल कुछ ही पोर्टल्स को मान्यता दी है, जैसे कि Parivahan Portal (https://echallan.parivahan.gov.in/) और राज्य सरकार के ट्रैफिक विभाग की आधिकारिक वेबसाइटें। इन वेबसाइटों का URL हमेशा “gov.in” या “nic.in” से खत्म होता है, जो यह दर्शाता है कि यह सरकारी डोमेन है और सुरक्षित है। जबकि फर्जी वेबसाइटें अक्सर “.com”, “.net”, “.online”, “.xyz” जैसे सस्ते डोमेन का इस्तेमाल करती हैं और देखने में असली जैसी लगती हैं। इन वेबसाइटों पर रंग-बिरंगे बटन, नकली हेल्पलाइन नंबर, और चालान पेमेंट का फॉर्म भी होता है, लेकिन इनका असल मकसद धोखाधड़ी होता है।
इन फर्जी वेबसाइटों से बचने का एक आसान तरीका यह है कि हमेशा ब्राउज़र के एड्रेस बार में वेबसाइट का नाम ध्यान से देखें। अगर कोई वेबसाइट “parivahan-gov.in.co” या “echallan-payonline.com” जैसी लगे, तो समझ जाइए कि यह नकली है। असली वेबसाइट हमेशा HTTPS से शुरू होती है, जिसमें एक ताला (🔒) का चिन्ह भी होता है जो वेबसाइट की सुरक्षा को दर्शाता है। हालांकि आजकल कुछ फर्जी वेबसाइटें भी HTTPS का सर्टिफिकेट लगवा लेती हैं, इसलिए URL की पूरी तरह से पुष्टि करना आवश्यक है।
एक और बड़ा संकेत यह होता है कि नकली वेबसाइटें अक्सर आपको SMS या WhatsApp पर लिंक भेजती हैं, जिनमें लिखा होता है कि “आपके नाम पर ₹5000 का चालान लंबित है। अभी भुगतान करें अन्यथा गाड़ी जब्त होगी।” ऐसे संदेश डर पैदा करके तुरंत क्लिक करवाने की कोशिश करते हैं। आमतौर पर ये लिंक शॉर्ट किए हुए होते हैं, जैसे “bit.ly/xyzchaln” या “tinyurl.com/paychallan”। ऐसे लिंक पर कभी भी क्लिक न करें। भारत सरकार या ट्रैफिक डिपार्टमेंट कभी भी इस तरह के शॉर्ट लिंक नहीं भेजता। अगर SMS असली होता है, तो उसमें सामान्यत: “gov.in” डोमेन का लिंक दिया होता है।
अब बात करते हैं कि अगर आपने गलती से किसी फर्जी वेबसाइट पर अपनी जानकारी डाल दी या पेमेंट कर दिया, तो क्या किया जाए। सबसे पहला कदम है अपने बैंक को तुरंत सूचित करना और ट्रांज़ेक्शन ब्लॉक करवाना। अगर आपने डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग या UPI के माध्यम से पैसा भेजा है, तो बैंक को कहें कि ट्रांज़ेक्शन को फ्रीज़ किया जाए। दूसरा कदम है साइबर क्राइम की शिकायत करना। भारत सरकार ने साइबर क्राइम की शिकायतों के लिए एक वेबसाइट बनाई है — https://cybercrime.gov.in/। यहां जाकर आप शिकायत दर्ज करा सकते हैं और संबंधित प्रमाण जैसे कि स्क्रीनशॉट, लिंक और पेमेंट डिटेल्स भी दे सकते हैं।
अब सवाल आता है कि सही वेबसाइट पर कैसे जाएं और चालान देखें। इसके लिए आप सीधे ब्राउज़र में echallan.parivahan.gov.in टाइप करें। वहां जाकर आप अपना वाहन नंबर, चालान नंबर या ड्राइविंग लाइसेंस नंबर डालकर चालान की स्थिति देख सकते हैं। इसके अलावा कुछ राज्य सरकारों ने अपनी अलग-अलग पोर्टल बनाए हैं जैसे महाराष्ट्र के लिए https://mahatrafficechallan.gov.in, दिल्ली के लिए https://delhitrafficpolice.nic.in, गुजरात के लिए https://echallan.gujarat.gov.in आदि। यह सभी वेबसाइटें केवल सरकार द्वारा चलती हैं और पूर्णतः सुरक्षित होती हैं।
फर्जी चालान वेबसाइटों की एक खासियत यह भी होती है कि वे गलत चालान जानकारी दिखाती हैं। जैसे कि आपने कभी भी सीट बेल्ट नहीं पहनी, तो वे आपको “बिना सीट बेल्ट 2000 का चालान” दिखा देंगे। कभी-कभी गाड़ी भी आपकी नहीं होती और चालान का वाहन नंबर कुछ और होता है। इसलिए किसी भी जानकारी को जांचें, और यदि संदेह हो तो ट्रैफिक पुलिस हेल्पलाइन पर कॉल करें।
लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार समय-समय पर सोशल मीडिया के माध्यम से भी चेतावनी देती है कि फर्जी वेबसाइटों से सावधान रहें। लेकिन आम जनता को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। अगर आपको कोई नई वेबसाइट दिखे जो पहले कभी नहीं देखी, तो गूगल पर उसका नाम सर्च करके देखिए कि क्या वह किसी समाचार या सरकारी सूचना में उल्लिखित है या नहीं। कई बार यूज़र फोरम्स या Reddit पर भी ऐसे फर्जी वेबसाइटों की जानकारी पहले से मिल जाती है।
अब कुछ जरूरी टिप्स जो हर वाहन मालिक को अपनाने चाहिए:
1. हमेशा ऑफिशियल वेबसाइट से ही चालान की जांच और भुगतान करें।
2. कभी भी SMS या WhatsApp पर आए लिंक से भुगतान न करें।
3. ब्राउज़र में URL को ध्यान से पढ़ें — “gov.in” या “nic.in” होना चाहिए।
4. अपनी पर्सनल जानकारी किसी अज्ञात वेबसाइट पर न दें।
5. Google Play Store या Apple Store से ही ट्रैफिक ऐप्स डाउनलोड करें।
6. यदि फर्जी वेबसाइट पर क्लिक हो गया हो तो तुरंत ब्राउज़र बंद करें और इतिहास साफ करें।
7. फर्जी चालान संदेश आने पर स्क्रीनशॉट लेकर ट्रैफिक डिपार्टमेंट को ईमेल करें।
8. कभी भी अनजान QR कोड से पेमेंट न करें।
9. किसी भी वेबसाइट पर पेमेंट करने से पहले उसका UPI ID या बैंक नाम जांचें।
10. हर ट्रांज़ेक्शन की रसीद PDF में सेव करके रखें।
समाप्त करते हुए, हम कह सकते हैं कि चालान से जुड़ी फर्जी वेबसाइटें आज एक बड़ा खतरा बन चुकी हैं, लेकिन थोड़ी सी सतर्कता और जागरूकता से इनसे आसानी से बचा जा सकता है। हमेशा प्रमाणिक वेबसाइटों से ही काम करें, किसी भी डर या जल्दबाज़ी में निर्णय न लें और जरूरत पड़ने पर साइबर सेल से मदद लें। सही जानकारी ही आपकी सबसे बड़ी सुरक्षा है।