भारत में राजमार्गों पर कानूनी Speed  limit क्या है?

भारत एक विशाल देश है जहाँ हर दिन लाखों वाहन सड़कों पर चलते हैं। जैसे-जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे हाईवे की संख्या और गुणवत्ता भी बढ़ती जा रही है। नेशनल हाईवे (राष्ट्रीय राजमार्ग), स्टेट हाईवे (राज्य राजमार्ग), और एक्सप्रेसवे (द्रुतगामी मार्ग) अब देश के एक कोने को दूसरे से जोड़ रहे हैं। लेकिन जितनी तेजी से सड़कें बन रही हैं, उतनी ही तेजी से वाहन दुर्घटनाओं में भी इजाफा हुआ है। इसका मुख्य कारण है स्पीड यानी गति की लापरवाही। इसलिए भारत सरकार ने विभिन्न प्रकार की सड़कों पर वाहनों की अधिकतम गति सीमा (स्पीड लिमिट) तय की है ताकि सुरक्षा बनी रहे और दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके।

जब हम स्पीड लिमिट की बात करते हैं, तो यह जरूरी होता है समझना कि यह सिर्फ एक नंबर नहीं है – यह एक जिम्मेदारी है। यह सीमा इसलिए तय की जाती है ताकि ड्राइवर को पता हो कि वह किस गति पर वाहन चलाकर खुद की, अन्य यात्रियों की और पैदल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है। बहुत सारे लोग इस धारणा में रहते हैं कि जितनी तेज गाड़ी चले, उतना बेहतर। लेकिन सच्चाई ये है कि तेज गति हमेशा दुर्घटना का कारण बनती है, खासकर जब सड़क की स्थिति, ट्रैफिक का दबाव, या मौसम का मिजाज अनुकूल न हो।

भारत सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के तहत स्पीड लिमिट्स तय की हैं, और समय-समय पर परिवहन मंत्रालय इन्हें अपडेट करता है। 6 अप्रैल 2018 को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने राष्ट्रीय स्तर पर नई स्पीड लिमिट्स घोषित की थीं। हालांकि राज्य सरकारों को यह अधिकार होता है कि वे अपनी सड़कों के हिसाब से इन सीमाओं को घटा सकती हैं, लेकिन बढ़ा नहीं सकती। इसलिए कभी-कभी एक ही तरह की सड़क पर अलग-अलग राज्यों में अलग स्पीड लिमिट देखने को मिलती है।

अब बात करते हैं अलग-अलग श्रेणियों की स्पीड लिमिट्स की, जो नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और एक्सप्रेसवे पर लागू होती हैं।

1. कारों के लिए स्पीड लिमिट (Passenger Cars – M1 Category)

कारें सबसे सामान्य व्यक्तिगत यातायात साधन हैं और भारत में इनकी संख्या बहुत ज्यादा है। हाईवे पर कारों के लिए अधिकतम गति सीमा तय की गई है:

नेशनल हाईवे पर: अधिकतम 100 किमी प्रति घंटा

एक्सप्रेसवे पर: अधिकतम 120 किमी प्रति घंटा

शहरी सड़क या अन्य सड़कों पर: 70 किमी प्रति घंटा (या स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्धारित)

हालांकि यह सीमा सड़क की स्थिति और ट्रैफिक घनत्व पर निर्भर कर सकती है। कुछ राज्य जैसे दिल्ली, मुंबई आदि में शहरी क्षेत्रों में अधिकतम स्पीड 50–60 किमी प्रति घंटा ही निर्धारित है।

2. बाइक और स्कूटर के लिए स्पीड लिमिट (Two-Wheelers)

टू-व्हीलर वाहन चालकों के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि ये सबसे असुरक्षित माने जाते हैं। हाईवे पर दोपहिया वाहनों की स्पीड लिमिट:

नेशनल हाईवे पर: अधिकतम 80 किमी प्रति घंटा

एक्सप्रेसवे पर: अधिकतम 90 किमी प्रति घंटा (कुछ जगहों पर 100 किमी तक अनुमति)

शहरी क्षेत्र: 40 से 50 किमी प्रति घंटा

कुछ एक्सप्रेसवे जैसे मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर दोपहिया वाहनों की एंट्री ही प्रतिबंधित है।

3. बस और ट्रक (Heavy Commercial Vehicles)

व्यावसायिक भारी वाहन जैसे कि बस और ट्रक, अपने भार और आकार के कारण सड़कों पर विशेष महत्व रखते हैं। इनकी गति सीमित रखना आवश्यक है।

नेशनल हाईवे पर: अधिकतम 80 किमी प्रति घंटा

एक्सप्रेसवे पर: अधिकतम 90 किमी प्रति घंटा

शहरों में: 40 से 50 किमी प्रति घंटा

यदि बस में यात्री अधिक हैं या ट्रक में भार निर्धारित सीमा से ज्यादा है, तो स्पीड और भी कम होनी चाहिए।

4. स्कूल वैन और पब्लिक ट्रांसपोर्ट

स्कूल वैन, ऑटो रिक्शा, सिटी बसें आदि के लिए भी अलग-अलग गति सीमाएं होती हैं। स्कूल वैन के लिए अधिकतम स्पीड सामान्यतः 40 किमी/घंटा तय की गई है। कई राज्यों में स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए नियम काफी सख्त हैं और ड्राइवरों को स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य है।

स्पीड लिमिट कैसे तय होती है?

कई लोग सोचते हैं कि सरकार बस कोई भी संख्या तय कर देती है, लेकिन ऐसा नहीं है। स्पीड लिमिट तय करने के लिए विशेषज्ञों की टीम सड़क की चौड़ाई, सड़क की डिजाइन, ट्रैफिक की मात्रा, आस-पास के इलाके (जैसे स्कूल, अस्पताल, बाजार) और पुराने दुर्घटना रिकॉर्ड का अध्ययन करती है। इसके आधार पर एक सुरक्षित औसत गति निर्धारित की जाती है।

स्पीड लिमिट उल्लंघन पर दंड (Fine for Speeding)

अगर कोई वाहन चालक तय गति सीमा से अधिक तेज गाड़ी चलाता है, तो यह एक कानूनी अपराध है। मोटर व्हीकल एक्ट, 2019 के तहत स्पीडिंग पर निम्नलिखित दंड तय किए गए हैं:

पहली बार पकड़े जाने पर जुर्माना ₹1,000 – ₹2,000

दोबारा उल्लंघन पर ₹4,000 तक का जुर्माना

भारी वाहनों के लिए जुर्माना अधिक हो सकता है

साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड भी हो सकता है

बड़े शहरों में अब स्पीड कैमरा और ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर सिस्टम लग चुके हैं। इनसे ओवरस्पीडिंग करते ही ई-चालान घर पहुँच जाता है। इसलिए आजकल चालान से बचना आसान नहीं है।

FASTag और टोल प्लाजा पर स्पीड

आजकल भारत में ज्यादातर टोल प्लाजा FASTag आधारित हो गए हैं। वहाँ पर भी स्पीड को लेकर निर्देश होते हैं। टोल बूथ के आसपास स्पीड लिमिट सामान्यतः 20 से 30 किमी प्रति घंटा होती है ताकि दुर्घटनाओं से बचा जा सके। टोल प्लाजा के पास तेज गाड़ी चलाना खतरनाक माना जाता है क्योंकि वहां पैदल कर्मचारी भी होते हैं।

स्पीड गवर्नर और तकनीकी नियंत्रण

सरकार ने कई व्यवसायिक वाहनों में स्पीड गवर्नर (एक इलेक्ट्रॉनिक यंत्र जो गाड़ी की गति को सीमित करता है) लगाना अनिवार्य कर दिया है। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि वाहन निर्धारित गति से अधिक तेज न चले। स्कूल बसों, ट्रकों और टैक्सियों में यह सुविधा अब अनिवार्य हो गई है।

हाईवे पर सुरक्षित स्पीड ड्राइविंग के सुझाव

1. हमेशा साइनबोर्ड्स को ध्यान से पढ़ें – इन पर स्थान विशेष की स्पीड लिमिट लिखी होती है।

2. तेज बारिश, कोहरा, या रात के समय ड्राइविंग करते हुए गति और कम रखें।

3. वाहन की ब्रेकिंग दूरी और टायरों की स्थिति का ध्यान रखें।

4. ट्रैफिक फ्लो को बाधित न करें – यदि सभी 80 पर चल रहे हैं, तो आप 100 पर न चलें।

5. लंबी यात्रा में बीच-बीच में रुककर आराम करें ताकि सतर्कता बनी रहे।

क्या हर राज्य में स्पीड लिमिट एक जैसी होती है?

नहीं, हर राज्य अपने अनुसार कुछ बदलाव कर सकता है। उदाहरण के लिए:

दिल्ली में कारों के लिए अधिकतम स्पीड सीमा मुख्य मार्गों पर 70 किमी/घंटा है।

मुंबई में कारों के लिए 60 किमी/घंटा से अधिक स्पीड कई क्षेत्रों में प्रतिबंधित है।

हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में सीमाएं और कम होती हैं।

इसलिए यदि आप एक राज्य से दूसरे राज्य जा रहे हैं, तो वहां के नियमों की जानकारी रखना जरूरी है।

एक्सप्रेसवे की अलग पहचान – 120 किमी/घंटा तक अनुमति क्यों?

एक्सप्रेसवे विशेष डिज़ाइन किए गए होते हैं – इनकी लेनें चौड़ी होती हैं, कोई क्रॉस ट्रैफिक नहीं होता, पैदल यात्री प्रवेश नहीं कर सकते, और यू-टर्न बहुत दूरी पर होते हैं। इसलिए इन पर गाड़ियाँ अपेक्षाकृत तेज गति से सुरक्षित रूप से चलाई जा सकती हैं। जैसे कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे, और यमुना एक्सप्रेसवे जैसे रास्तों पर कारों के लिए 120 किमी प्रति घंटा की सीमा तय की गई है।

हालांकि ध्यान रखें, यह अनुमति ‘सुरक्षित ड्राइविंग’ के लिए दी गई है – इसका मतलब यह नहीं कि आप हर हाल में 120 पर चलाएँ। कभी-कभी ट्रैफिक या मौसम की स्थिति में यह भी खतरा बन सकती है।

स्पीड को लेकर सामाजिक जागरूकता की जरूरत

भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या हर साल लगभग डेढ़ लाख तक पहुँच जाती है। इनमें से बहुत सी घटनाएँ तेज गति के कारण होती हैं। लोगों में यह भावना आनी चाहिए कि तेज चलाने से समय नहीं बचता, बल्कि जान को खतरा होता है। स्कूलों, ड्राइविंग इंस्टीट्यूट्स और मीडिया के माध्यम से इस बारे में निरंतर जागरूकता फैलानी चाहिए।

भारत में हाईवे पर कानूनी स्पीड लिमिट को लेकर काफी स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं। चाहे वह नेशनल हाईवे हो, स्टेट हाईवे, एक्सप्रेसवे या सिटी रोड – हर सड़क के लिए गति सीमा निर्धारित की गई है। लेकिन केवल कानून से सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती, उसे पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है। अगर हम अपनी और दूसरों की जिंदगी की कीमत समझें, तो गति पर नियंत्रण स्वतः आ जाएगा। याद रखें – “धीरे चलिए, सुरक्षित चलिए, जीवन अमूल्य है।”

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