भारत में सड़कों पर चलना अपने आप में एक अनुभव है। यहां की ट्रैफिक व्यवस्था, ड्राइविंग शैली, सड़क की स्थिति और ड्राइवरों की मानसिकता – सब कुछ मिलकर एक अनूठा मिश्रण तैयार करते हैं। जहां एक ओर ट्रैफिक नियम और कानून हैं, वहीं दूसरी ओर इन नियमों की व्याख्या और पालन में अक्सर भ्रम, अनभिज्ञता और लापरवाही दिखाई देती है। ऐसे ही एक सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण प्रश्न को लेकर आज हम चर्चा कर रहे हैं: क्या भारत में बाईं ओर से ओवरटेक करना कानूनी है?
यह सवाल जितना सरल लगता है, इसका उत्तर उतना ही विस्तृत और संदर्भ-निर्भर है। इस लेख में हम बाईं ओर से ओवरटेक करने के कानूनी पक्ष, व्यवहारिक स्थिति, सड़क सुरक्षा की दृष्टि, और सामाजिक प्रभाव – इन सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
भारत की ट्रैफिक व्यवस्था का आधार
भारत में अधिकांश ट्रैफिक व्यवस्था दाएँ हाथ की ड्राइविंग प्रणाली पर आधारित है। इसका मतलब है कि वाहन सड़क के बाईं ओर चलते हैं और आमतौर पर दाईं ओर से ओवरटेक किया जाता है। यही प्रणाली इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अन्य कुछ देशों में भी अपनाई जाती है। इसके विपरीत अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस आदि देशों में बाईं ओर की ड्राइविंग प्रणाली है, और वहां दाईं ओर चलना नियमों के विरुद्ध होता है।
जब हम यह कहते हैं कि भारत में गाड़ियाँ सड़क के बाईं ओर चलती हैं, इसका स्वाभाविक निष्कर्ष यही है कि ओवरटेकिंग दाईं ओर से की जानी चाहिए ताकि सुरक्षित दूरी, स्पष्ट विजिबिलिटी और लेन अनुशासन बना रहे।
मोटर व्हीकल एक्ट में क्या लिखा है?
भारत में सड़क और ट्रैफिक से जुड़े सभी नियमों की मूल पुस्तक है Motor Vehicles Act, 1988, जिसे समय-समय पर संशोधित किया गया है। इसके अलावा Central Motor Vehicles Rules (CMVR), 1989 भी लागू होते हैं। इन नियमों के अनुसार:
सामान्य परिस्थिति में, ओवरटेक दाईं ओर से ही करना चाहिए।
Section 5.1 के अनुसार, कोई भी वाहन यदि सामान्य गति में सड़क पर चल रहा है, तो उसे केवल दाईं ओर से ही पार किया जाना चाहिए।
हालाँकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में बाईं ओर से ओवरटेक की आंशिक अनुमति दी गई है। इन शर्तों में:
1. जब सामने वाला वाहन दाएँ मुड़ने के लिए सिग्नल दे रहा हो या धीमा हो गया हो।
2. जब ट्रैफिक जाम के कारण एक से अधिक लेन में वाहन समान गति से चल रहे हों।
3. जब सड़क पर दो लेन हों और बाईं लेन खाली हो तथा सुरक्षित रूप से वाहन को आगे ले जाया जा सके।
इन परिस्थितियों को छोड़कर, बाईं ओर से ओवरटेक करना नियमों के विरुद्ध माना जाता है और यह सड़क दुर्घटनाओं की बड़ी वजह बन सकता है।
बाईं ओर से ओवरटेक करना क्यों खतरनाक है?
भारत जैसे देश में जहां सड़क पर वाहन, पैदल यात्री, दोपहिया, साइकल, ऑटो और कभी-कभी मवेशी भी मिलते हैं, वहां बाईं ओर से ओवरटेक करना अत्यंत जोखिमपूर्ण हो सकता है।
1. विजिबिलिटी कम होती है – अधिकांश वाहन दाईं ओर से देखने के लिए साइड मिरर का उपयोग करते हैं। बाईं ओर से आने वाले वाहन अक्सर ब्लाइंड स्पॉट में होते हैं, जिससे दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है।
2. अनुमान लगाने में कठिनाई – सामने वाला ड्राइवर नहीं समझ पाता कि कोई वाहन उसे बाईं ओर से पार करने वाला है, जिससे अचानक ब्रेक लगाने या स्टीयर घुमाने पर टक्कर हो सकती है।
3. सड़क की दशा खराब होती है – अधिकांश भारतीय सड़कों की बाईं लेन में गड्ढे, मलबा, खड़ी गाड़ियाँ या दोपहिया वाहन होते हैं, जिससे बाईं ओर ओवरटेक करना और खतरनाक हो जाता है।
4. पैदल यात्री और साइकिल सवार अधिकतर बाईं ओर होते हैं – यह स्थिति ओवरटेक करने वाले वाहन के लिए अचानक रुकावट का कारण बन सकती है।
सड़क पर वास्तविकता क्या है?
हालांकि कानून स्पष्ट है, लेकिन व्यवहारिक स्तर पर भारतीय सड़कों पर बाईं ओर से ओवरटेक होना बहुत आम है। कारण:
भीड़-भाड़ और ट्रैफिक की अस्थिरता।
लेन अनुशासन का अभाव।
सड़कों की खराब स्थिति और डिजाइन।
ड्राइवरों में नियमों की जानकारी की कमी।
जल्दबाज़ी और अधैर्यपूर्ण व्यवहार।
ऑटो, बाइक, टैक्सी और कभी-कभी बसें भी बाईं ओर से ओवरटेक करती हैं, जिससे ट्रैफिक अव्यवस्थित और असुरक्षित हो जाता है। यह एक सामाजिक व्यवहार बन गया है, जो नियमों की अनदेखी को बढ़ावा देता है।
पुलिस और चालान की भूमिका
यदि कोई वाहन गलत ढंग से बाईं ओर से ओवरटेक करता है और पकड़ा जाता है, तो उस पर ₹1000 तक का चालान किया जा सकता है (मोटर वाहन अधिनियम, संशोधित 2019 के अनुसार)। यदि यह बार-बार हो रहा है या इससे कोई दुर्घटना होती है, तो जुर्माना बढ़ सकता है या ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित भी किया जा सकता है।
लेकिन व्यवहार में, ऐसे मामलों में पुलिस की प्रतिक्रिया अनियमित होती है। अक्सर ट्रैफिक पुलिस इस नियम को उतनी सख्ती से लागू नहीं करती, जब तक कोई हादसा न हो। यह रवैया सड़क सुरक्षा को नुकसान पहुँचाता है।
ड्राइविंग स्कूल और शिक्षण संस्थानों की भूमिका
अधिकांश ड्राइविंग स्कूल इस नियम को केवल थ्योरी परीक्षा के दौरान पढ़ाते हैं, लेकिन व्यवहारिक रूप में इसकी ट्रेनिंग नहीं देते। यही कारण है कि नए ड्राइवरों को यह बात समझ में नहीं आती कि बाईं ओर से ओवरटेक क्यों खतरनाक है।
स्कूलों, कॉलेजों और नागरिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में ट्रैफिक नियमों की जागरूकता को अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि बचपन से ही सही आदतें बन सकें।
बाईं ओर ओवरटेक के लिए क्या विकल्प हैं?
यदि आप सड़क पर हैं और सामने वाला वाहन बहुत धीरे चल रहा है लेकिन दाईं ओर अन्य गाड़ियाँ हैं:
धैर्य रखें – थोड़ा रुकना किसी जान से ज्यादा कीमती नहीं।
हॉर्न या डिपर का उपयोग करें – संकेत दें कि आप ओवरटेक करना चाहते हैं।
सही समय और स्थान देखें – जब सड़क चौड़ी हो और स्पष्ट दृश्य हो, तभी ओवरटेक करें।
गति सीमित रखें – ओवरटेक के समय बहुत अधिक गति न रखें ताकि आप नियंत्रण में रहें।
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञ मानते हैं कि बाईं ओर से ओवरटेकिंग भारत में दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण है। खासकर दोपहिया वाहन और भारी वाहन जब बाईं ओर से पार करते हैं, तो यह न केवल खुद के लिए बल्कि आसपास के वाहनों के लिए भी घातक होता है।
सड़क परिवहन मंत्रालय भी समय-समय पर ओवरटेकिंग को लेकर जागरूकता अभियान चलाता है। “Sadak Suraksha – Jeevan Raksha” जैसे अभियानों में बाईं ओर से ओवरटेक न करने की सलाह दी जाती है।
भारत में बाईं ओर से ओवरटेक करना सामान्य परिस्थितियों में गैर-कानूनी और अत्यंत खतरनाक है। कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में यह कानूनी रूप से मान्य हो सकता है, लेकिन तब भी सावधानी अनिवार्य है। देश की सड़क स्थिति, ट्रैफिक का अनुशासन और ड्राइवरों की मानसिकता को देखते हुए, बाईं ओर से ओवरटेक करने से बचना ही बुद्धिमानी है।
यह केवल कानून पालन का प्रश्न नहीं, बल्कि हमारी और दूसरों की सुरक्षा का भी मामला है। यदि हम सभी नियमों का पालन करें, धैर्य से ड्राइव करें और सही ओवरटेकिंग व्यवहार अपनाएं, तो भारत की सड़कें और अधिक सुरक्षित बन सकती हैं।